कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ राधा चालीसा - जय वृषभान कुंवारी श्री श्यामा जो यह पाठ करे मन लाई । https://shivchalisas.com